पर्यावरण अनुकूल सैनिटरी नैपकिन ‘जनऔषधि सुविधा’ की शुरूआत
पर्यावरण अनुकूल सैनिटरी नैपकिन ‘जनऔषधि सुविधा’ की शुरूआत
क्या: जनऔषधि सुविधा
कब: 4 जून, 2018
क्यों: किफायती दर पर सैनिटरी नैपकिन
- केन्द्रीय रसायन एवं उवर्रक राज्य मंत्री श्री मनसुख एल. मंडाविया ने 4 जून, 2018 को प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत पर्यावरण अनुकूल सैनिटरी नैपकिन ‘जनऔषधि सुविधा’ (JANAUSHADHI SUVIDHA – Oxo-biodegradable Sanitary Napkin) की शुरूआत की।
- इसके तहत अब किफायती सैनिटरी नैपकिन देशभर में 33 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के 3600 से अधिक जनऔषधि केन्द्रों पर उपलब्ध होगी। केन्द्रीय रसायन एवं उवर्रक तथा संसदीय मामलों के मंत्री श्री अनंत कुमार ने विश्व महिला दिवस 8 मार्च, 2018 को किफायती दर पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने का वादा किया था।
- यह विशिष्ट उत्पाद किफायती और सुविधाजनक होने के साथ-साथ नष्ट करने में भी आसान है। इस उत्पाद से स्वच्छता, स्वास्थ्य और सुविधा सुनिश्चित होगी।
- केन्द्रीय मंत्री के अनुसार बाजार में उपलब्ध सैनिटरी नैपकिन प्रति पैड 8 रुपये का आता है, जबकि सुविधा नैपकिन 2 रुपये 50 पैसे का है। इससे महिलाओं के बीच व्यक्तिगत स्वच्छता सुनिश्चित होगी।
- श्री मंडाविया के अनुसार भारत में महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि अभी भी महिलाएं बाजार में उपलब्ध बड़े ब्रांडों की सैनिटरी नैपकिन की पहुंच से दूर है। महावारी के समय अस्वच्छ तौर-तरीके अपनाने की वजह से महिलाएं कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार 15 से 24 वर्ष की आयु की महिलाएं स्थानीय तरीके से बनाई गई सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती है, जबकि शहरों में 78 फीसदी महिलाएं स्वच्छ तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। गांवों में केवल 48 फीसदी महिलाओं की पहुंच सैनिटरी नैपकिन तक है।
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पर्यावरण अनुकूल सैनिटरी नैपकिन ‘जनऔषधि सुविधा’ की शुरूआत
Reviewed by mahi
on
June 04, 2018
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